राजस्थान में 100 मार्बल व पत्थर की खदानें बंद, पत्थर ढाई गुना तक महंगा, मूर्तिकारों की आजीविका पर संकट 
 

Rajsthan News : अलवर व राजगढ़ में करीब 400 मिनरल ग्राइंडिंग प्लांट हैं। इनमें से 250 प्लांट अलवर व 150 राजगढ़ में हैं। औसतन रोजाना 15 हजार टन मिनरल पाउडर बनता था।  इनका टर्नओवर 800 करोड़ रुपए था।
 
 

Alwar letest Mining News: सरिस्का में क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरिस्का अभ्यारण्य के एक किलोमीटर के दायरे में 100 खदानें बंद कर दी गई हैं। ये खदानें टहला, प्रतापगढ़ व बानसूर क्षेत्र में हैं। इन खदानों से मार्बल पत्थर नहीं मिलने से अलवर व राजगढ़ की मिनरल ग्राइंडिंग इकाइयां फेल होने लगी हैं। कई प्लांटों ने बिजली लोड कम करने या बिजली कनेक्शन कटवाने के लिए आवेदन करना शुरू कर दिया है। 

अलवर व राजगढ़ में करीब 400 मिनरल ग्राइंडिंग प्लांट हैं। इनमें से 250 प्लांट अलवर व 150 राजगढ़ में हैं। औसतन रोजाना 15 हजार टन मिनरल पाउडर बनता था।  इनका टर्नओवर 800 करोड़ रुपए था। इस साल 15 मई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद टहला में पत्थर की खदानें बंद होने लगी थीं। अब अलवर और राजगढ़ में खनिज चूर्ण का उत्पादन 15 हजार टन से घटकर 6 हजार टन प्रतिदिन रह गया है। आने वाले दिनों में इसके भी बंद होने की संभावना है। 

मूर्तिकार भी अपनी आजीविका के लिए इन खदानों पर निर्भर

खदानें बंद होने के बाद खनिज उद्यमियों को झिरी, मकराना और राजसमंद से कच्चा माल मंगवाना पड़ रहा है, जो ढाई गुना तक महंगा पड़ रहा है। अब इन उद्यमियों की निगाहें खदानों को लेकर 21 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। खनिज पीसने वाली इकाइयों के इन 400 प्लांटों में 5000 से ज्यादा श्रमिक काम करते हैं। इसके अलावा 3000 मूर्तिकार भी अपनी आजीविका के लिए इन खदानों पर निर्भर हैं। अब इनकी आजीविका खतरे में है। वहीं ये उद्यमी सरकार को 5 लाख रुपए प्रति प्लांट के हिसाब से करीब 18 करोड़ रुपए बिजली बिल के रूप में देते हैं।  800 करोड़ रुपए के सालाना टर्नओवर पर सरकार 90 करोड़ रुपए की रॉयल्टी और 40 करोड़ रुपए जीएसटी देती है।

ढाई गुना महंगा होने लगा पत्थर

सीटीएच रेंज की 100 खदानें बंद होने के बाद पूरा भार झिरी की 14 खदानों पर आ गया है। टाहला की खदानों से जो पत्थर 800 रुपए प्रति टन आता था, वह झिरी से 1200 रुपए प्रति टन आ रहा है। राजसमंद और मकराना से आने वाला पत्थर 2000 रुपए प्रति टन के हिसाब से आ रहा है, जो ढाई गुना तक महंगा है। अलवर में मिनरल पाउडर की प्रचुरता के बाद एशियन, नेरोलेक, वेरजर, जेके लक्ष्मी समेत करीब 10 बड़ी वॉल पुट्टी कंपनियां स्थापित हुई थीं। प्लांट बंद होने से ये बड़ी कंपनियां भी संकट में हैं।

खनिज विभाग ने ही आवंटित 

मत्स्य उद्योग संघ के महासचिव अजय बंसल का कहना है कि उद्यमियों ने रीको से जमीन ली है। उस समय ये खदानें खनिज विभाग ने ही आवंटित की थीं। इसमें हमारा क्या दोष है? अब इन्हें बंद किया जा रहा है। इस तरह प्लांट पूरी तरह से बंद हो जाएंगे। राजगढ़ औद्योगिक संघ के महासचिव राजीव जैन का कहना है कि बाहरी ऑर्डर पूरे न होने के कारण कई उद्यमियों के पुराने भुगतान भी अटके पड़े हैं।