महिला किसानों की हुई मौज, इस फसल का तेल बेच रही 1200 रुपए लीटर

मेथा का तेल निकालने के लिए बांके बाजार में प्रोसेसिंग यूनिट लगाई गई है। जिससे आसानी से महिलाओं को सुविधा मिल सके। मेंथा तेल का इस्तेमाल कई प्रकार की औषधियां में किया जाता है। इस खेती को बढ़ावा देने के लिए 4 एस संस्था और
 
Metha Ki Kheti : भारत में आजकल महिलाएं खेती किसानी में बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं। बिहार के गया जिले में खेती करने योग्य बंजर भूमि में बड़े स्तर पर मेथा की खेती की जा रही है। जिले बांका में करीबन 5 एकड़ बंजर भूमि में मेथा की खेती की जा रही है। मेथा की खेती करके महिलाएं इससे तेल निकाल कर बेच रही हैं। 1 एकड़ मेथा की खेती में करीबन 70 से 80 लीटर तेल निकल जाता है जो बाजार में ₹900 से लेकर ₹1200 तक बिकता है। यानी आसानी से एक एकड़ में 50 से ₹60000 बचाए जा सकते हैं। 
मेथा का तेल निकालने के लिए बांके बाजार में प्रोसेसिंग यूनिट लगाई गई है। जिससे आसानी से महिलाओं को सुविधा मिल सके। मेंथा तेल का इस्तेमाल कई प्रकार की औषधियां में किया जाता है। इस खेती को बढ़ावा देने के लिए 4 एस संस्था और महिला विकास प्रोड्यूसर कंपनी किसानों को मेथा का बीज उपलब्ध करवा रही है। 
महिला किसान समूह में शामिल सभी महिलाओं को एक एकड़ में 25 किलो तक बीज दिया जा रहा था। जिसका प्रति किलोग्राम मूल्य करीबन ₹100 है। फिर मेथा की नर्सरी को तैयार करके पौधे लगाए गए। इन पौधों के तैयार होने के बाद उनकी रोपाई की गई और करीबन 3 से 4 महीने का समय इसे अच्छी तरह तैयार होने में लगता है। हुसैनगंज गांव की महिला किसान निर्मला कुमारी ने बताया कि मेथा की नर्सरी तैयार होने में करीबन एक महीना लगता है। मेथा की फसल 90 से 100 दिन में तैयार हो जाती है। 
बिहार गई गांव की रहने वाली किसान रीता कुमारी ने बताया कि उसका गांव पहाड़ों के आसपास बसा हुआ है और अधिकतर हिस्सा पथरीला है। वह खेत में पहले सब्जियां लगती थी, लेकिन नीलगाय उन्हें खराब कर देती थी। अब उन्होंने मेंथा की खेती शुरू की है जिसके बाद नीलगाय आसपास भी नहीं फटकती। इन्होंने बीते साल 5 कट्ठा जमीन में 9 से 10 लीटर मेंथा तेल का उत्पादन लिया है।