क्या है दलाल घोल? नरमा कपास में देगा बम्पर कमाई 

घोल तैयार करने के लिए किसी धातु के बर्तन का प्रयोग न करें और इस घोल का प्रयोग सिर्फ 100 लीटर पानी में ही करें, न कम और न ज्यादा. फसल पर घोल की प्रक्रिया साधारण रखें. पौधे पर एक ही जगह ज्यादा घोल का छिड़काव न करें. इससे पौधों के पत्तों को नुकसान पहुंच सकता है. यह 100 लीटर का घोल है. इसका हल्का स्प्रे करें जितने भी एरिया को यह कवर करे. 
 

Saral Kisan: कपास की फसल में किसान अंधाधुंध कीटनाशक का छिड़काव करते हैं. यह किसान के साथ फसल के लिए नुकसानदायक है. इससे सिर्फ पेस्टीसाइड कंपनियों को फायदा मिल रहा है. वहीं जिले में अब तक 15 हजार हेक्टेयर में कपास व नरमा की बुआई हो चुकी है. ऐसे में शुरूआत दौर में किसान हल्की दवाई की स्प्रे करें.

कपास उत्पादन के लिए कीटनाशक साक्षरता मिशन

इसकी वजह है कि अब कई जगह कीटे-पतंगे उगते नरमा की फसल को खराब कर रहे हैं. लेकिन बड़े नरमा होने के बाद उसमें निरंतर स्प्रे करने की बजाए किसान कीट साक्षरता मिशन से जुड़कर दलाल घोल की स्प्रे करें. इससे उत्पादन बढ़ेगा और खर्च कम होगा. प्रदेश में कीट साक्षरता मिशन चला रहे पूर्व कृषि अधिकारी डा. बलजीत सिंह भ्याणा किसानों को कोरोना काल में भी ऑनलाइन ट्रेनिंग दे रहे हैं. गत दिनों उन्होंने किसानों को नरमा की फसल में होने वाली बीमारी व कीट के बारे में जानकारी दी, जिसका प्रदेश के अनेक किसानों ने लाभ उठाया. फतेहाबाद के गांव जांडली, चंद्रावल व गोरखपुर में उनका मिशन काम कर रहा है.

खाद की मात्रा बढ़ाने के लिए घोल का तैयारी प्रक्रिया

घोल तैयार करने के लिए 2.5 किलो यूरिया, 2.5 किलो डीएपी और आधा किलो जिक (21 प्रतिशत वाली) लें.

डीएपी को छिड़काव से एक दिन पहले प्लास्टिक या मिट्टी के बर्तन में भिगोकर रख दें और दिन में 2 से 3 बार इसे डंडे से हिलाते रहें. इस प्रक्रिया से डीएपी खाद में मौजूद पोषक तत्व अच्छी तरह से मिल जाएंगे.

इसके बाद छिड़काव के समय यूरिया और जिक को अलग-अलग प्लास्टिक या मिट्टी के बर्तनों में पानी में घोल लें. इसके बाद 100 लीटर पानी में इन्हें घोलकर फसल पर छिड़कें या फिर एक पैमाना तैयार कर लें और हर टंकी में उस पैमाने के अनुसार घोली हुई खाद डालते रहें और बाकी पानी मिला लें.

जितना पानी लगे, उसी के अनुसार बढ़ा लें खाद की मात्रा.

ध्यान दें कि घोल तैयार करने के लिए किसी धातु के बर्तन का प्रयोग न करें और इस घोल का प्रयोग सिर्फ 100 लीटर पानी में ही करें, न कम और न ज्यादा. फसल पर घोल की प्रक्रिया साधारण रखें. पौधे पर एक ही जगह ज्यादा घोल का छिड़काव न करें. इससे पौधों के पत्तों को नुकसान पहुंच सकता है. यह 100 लीटर का घोल है. इसका हल्का स्प्रे करें जितने भी एरिया को यह कवर करे. 

आपके एक एकड़ में जितना पानी लगे, उसी के अनुसार खाद की मात्रा बढ़ा लें. मान लो आपकी नरमा की बढ़वार के हिसाब से 200 पानी लगता है, तो 5 किलोग्राम डीएपी, 5 किलोग्राम यूरिया व 1 किलोग्राम जिक (21 प्रतिशत) का प्रयोग करें.

यदि किसान उपरोक्त सावधानियों का पालन करेंगे और कीटनाशक साक्षरता मिशन के माध्यम से आपने किया गया घोल उपयोग करेंगे, तो उनके कपास उत्पादन में बढ़ोतरी होने की संभावना होती है. इसके साथ ही उपयोग किए गए घोल के खर्च कम होंगे और किसानों को फायदा मिलेगा.

यह एक प्रस्तावित समाधान है और पर्याप्त प्रभावित प्रदेशों में काम कर सकता है, लेकिन सरकारी सलाहकार से संपर्क करने और स्थानीय कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए.

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