धान की खेती में ढूंढने पर भी नहीं मिलेंगे खरपतवार, रोपाई के 18 दिनों बाद करें ये छोटा सा काम

आज के समय में अक्सर धान से खरपतवारों को नष्ट करने के लिए रासायनिक तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन एक इससे बढ़िया तरीका भी है, खेत में निराई गुड़ाई करके खरपतवार से छुटकारा पाया जा सकता है।
 
Shahjahanpur ( UP ) जैसा कि हम जानते हैं खरीफ फसल का सीजन चल रहा है और धान की रोपाई और बिजाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। धान की फसल ने कल्ले निकालना शुरू कर दिया हैं। धान के पौधों का बढ़वार शुरू होते ही सबसे पहली समस्या खरपतवार की देखने को मिलती है। जिसका सीधा असर धान की पैदावार पर पड़ता है। 

जब इस बारे में कृषि एक्सपर्ट डॉक्टर एनसी त्रिपाठी से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि धान की फसल को सबसे अधिक पानी की जरूरत पड़ती है। जिसकी वजह से धान में आसानी से खरपतवार उगते हैं और खरपतवार की वजह से धान की फसल सबसे अधिक प्रभावित होती है। खरपतवार धान की फसल में दिए जाने वाले उर्वरक और पोषक तत्वों को भी सोख लेते हैं। जिससे धन की फसल अच्छे से नहीं बढ़ पाती है और धान से खरपतवार को निकालना जरूरी हो जाता है। 

खरपतवार नाशक का उपयोग 

उन्होंने बताया कि धान की फसल में खरपतवारों को खत्म करने के लिए रासायनिक तरीके का इस्तेमाल भी किया जाता है। खरपतवार नाशक Bispyribac Sodium 10% Sc को 100 से 110 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव किया जाना चाहिए। इस खरपतवार नाशक का छिड़काव 18 से 20 दिन के अंदर कर दिया जाना चाहिए। क्योंकि खरपतवार बड़े होने पर नष्ट होना मुश्किल हो जाते हैं। 

खरपतवार निकालना 

आज के समय में अक्सर धान से खरपतवारों को नष्ट करने के लिए रासायनिक तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन एक इससे बढ़िया तरीका भी है, खेत में निराई गुड़ाई करके खरपतवार से छुटकारा पाया जा सकता है। इस तरीके से खेत में मजदूर लगाकर धान से खरपतवारों को खुरपी की सहायता से निकाला जाता है। इस तरीके से धान के पौधों की बढ़वार अच्छी होती है और कल्लो की संख्या भी बढ़ती है।