हरियाणा में कल से इन जिलों में हैवी रेन, पंजाब में भी भिगेंगे कई जिले, धान में मिलेगी राहत

बंगाल की खाड़ी की ओर से मानसून की सक्रियता बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. जिसके चलते 6 से 9 अगस्त के बीच हरियाणा और पंजाब के कई क्षेत्रों में बारिश के आसार बन रहे हैं.
 

Haryana Punjab Rain Alert: हरियाणा में तीन दिनों तक गर्मी का दौर चलने के बाद कल बुधवार 6 अगस्त से मानसून की सक्रियता पूरे प्रदेश में देखने को मिलेगी. 6 अगस्त की शाम के बाद मौसम में परिवर्तन आना शुरू हो जाएगा. मौसम विभाग द्वारा प्रदेश के ज्यादातर जिलों में बारिश का अलर्ट जारी किया गया है.

हैवी रेन की संभावना

मौसम विज्ञानियों ने मौसम बदलने के साथ हैवी रेन की संभावना जताई गई है. पिछले 24 घंटे के दौरान कई जिलों में एक से 0.5 एमएम तक बारिश दर्ज की गई है. जिसमें से पंचकूला, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम शामिल है. आज के दिन मौसम में परिवर्तन आने के बाद अधिकतम तापमान में 1.4 डिग्री की कमी रही.

बीते दिन सिरसा जिला में लोगों को गर्मी का सामना करना पड़ा. दोपहर बाद मौसम में परिवर्तन दिखा और तेज हवाएं चलने लगी. इसके चलते रात्रि के तापमान में मामूली गिरावट रही और ठंडक जैसा माहौल रहा. प्रदेश में इस बार मानसून की सक्रियता कम होने के चलते 1 जून से अब तक 165.0 एमएम बड़ी से दर्ज की गई है जबकि सामान्य तौर पर हरियाणा में 217.0 एमएम बारिश की जरूरत पड़ती है.

पंजाब में 2 दिन अच्छी बारिश

पंजाब में इस बार मानसून धीमा होने के कारण धान के किसानों की चिंता बढ़ रही है. बरसात से पानी की कमी होने के चलते धान की फसल पर संकट के बादल छाए हुए हैं. परंतु अब एक साइक्लोन सरकुलेशन बनने की वजह से बंगाल की खाड़ी की ओर से मानसून की सक्रियता बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. जिसके चलते 6 से 9 अगस्त के बीच हरियाणा और पंजाब के कई क्षेत्रों में बारिश के आसार बन रहे हैं.

पंजाब में 2 दिन अच्छी बारिश की स्थिति बन रही है. इस दौरान गुरदासपुर, होशियारपुर और पठानकोट में बारिश होगी. मौसम विभाग की तरफ से कहा गया है कि इन तीन दिनों के दौरान कहीं पर मध्यम तो कहीं बूंदाबांदी और कहीं-कहीं तेज बारिश हो सकती है. जिसका सीधे तौर पर फायदा धान की फसलों को मिलेगा. 

मानसुनी बारिश के 5 साल के आंकड़े

पिछले 5 सालों के मुकाबले हरियाणा इस बार सबसे ज्यादा बारिश की कमी झेल रहा है. प्रदेश में सबसे ज्यादा बारिश 2021 में हुई थी. जो 668.1 एमएम थी. इसके अलावा 2018 में 549 एमएम, 2019 में 244.8 एमएम, 2020 में 440.6 एमएम, 2022 में 472 एमएम, 2023 में 390 एमएम और 2024 में 97.9 एमएम बारिश दर्ज की गई है. यदि इस बार बारिश कम हुई तो किसानों को ट्यूबवेल से सिंचाई करने पर भूजल स्तर और फसल की पैदावार में कमी आएगी.