किसान का ATM बनी ये सब्जी, खास विधि अपना कर रोजाना कमा रहा 3000 रुपए
Lauiki Ki Kheti Kaise Karen : किसान परंपरागत खेती की बजाय सब्जी की खेती में अपनी अधिक रुचि दिखा रहे हैं। सब्जी की खेती अनेक तरह की तकनीक द्वारा की जाती है। झारखंड की एक महिला किसान ने मचान विधि से लौकी की खेती कर हजारों रुपए मुनाफा कमाया है।
How To Cultivate Bottle Gourd : झारखंड के गोड्डा में एक महिला किसान ने एक अनोखी और आधुनिक खेती की तकनीक अपनाकर सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र की मदद से मचान विधि से लौकी की खेती की और अब तक 30 हजार रुपये की कमाई कर चुकी हैं।
पहले उन्हें जमीन में लौकी की खेती से लागत से 3 गुना आमदनी होती थी, लेकिन मचान विधि से उन्हें 10 गुना मुनाफा हो रहा है। उन्होंने 8 कट्ठे खेत में 10,000 रुपये की लागत से लौकी की खेती की और पूरे सीजन में 1 लाख से अधिक की कमाई का दावा किया है।
सुनीता रोजाना अपने खेतों से 100-150 पीस लौकी तोड़ती हैं और 20-25 रुपये की दर से व्यापारी और हाट बाजार में बेचती हैं, जिससे उन्हें रोजाना 3,000 रुपये के करीब कमाई होती है।
जीविदा हादसा परियोजना के फील्ड कोऑर्डिनेटर अक्षय कुमार ने बताया कि उनकी परियोजना से किसानों को मचान बनाने की व्यवस्था और तकनीक बताई जाती है और केंद्र की ओर से किसानों की मदद भी की जाती है, ताकि किसान कम लागत पर अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें।
वर्ष में तीन बार कर सकते हैं लौकी की खेती
लौकी एक ऐसी कद्दूवर्गीय सब्जी हैं, जिसकी फसल वर्ष में तीन बार उगाई जाती हैं। जायद, खरीफ, रबी सीजन में लौकी की फसल ली जाती है। जायद की बुवाई मध्य जनवरी, खरीफ मध्य जून से प्रथम जुलाई तक और रबी सितंबर अंत से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक लौकी की खेती की जाती है। जायद की अगेती बुवाई के लिए मध्य जनवरी में लौकी की नर्सरी की जाती है।
लौकी की किस्में : अर्का नूतन, अर्का श्रेयस, पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश, अर्का गंगा, अर्का बहार, पूसा नवीन, पूसा हाइब्रिड 3, सम्राट, काशी बहार, काशी कुंडल, काशी कीर्ति एंव काशी गंगा आदि।
हाइब्रिड किस्में : काशी बहार, पूसा हाइब्रिड 3, और अर्का गंगा आदि लौकी की हाइब्रिड किस्में हैं। जो 50 से 55 दिनों में पैदावार देने लगती हैं तथा इन किस्मों की औसत उपज 32 से 58 टन प्रति हेक्टेयर के आस पास होती है।