10 रुपए का यह फल Diabetes और हाई कोलेस्ट्रॉल को करेगा जड़ से खत्म, जानिए सेवन करने का सही तरीका
Blood Sugar: कैथा, एक वनस्पति, जो बिल्कुल कम पानी में उगता है, विशेष रूप से पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसका वैज्ञानिक नाम "लिमोनी एसिडिसिमा" (Limonia Acidissima) है। इसका फल बेल पत्थर की तरह दिखता है और हाथियों को बेहद पसंद आता है, जिसके कारण इसे कई जगहों पर "हाथी सेब" भी कहा जाता है। डायबिटीज़ के रोगियों के लिए यह बेहद उपयोगी है और इसका उपयोग दवाइयों की तरह किया जा सकता है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, और श्रीलंका में इस पौधे का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन इसके गुणों के बावजूद इसे लोगों के दिलों में अभी तक सबसे ऊपर नहीं पहुँच पाया है।
प्रकृति ने कई ऐसे पेड़-पौधों को उपहार में दिया है जिनकी पत्तियाँ, फूल और तने किसी औषधि से कम नहीं हैं। ये पेड़-पौधे सदियों से लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि आधुनिकता की दौर में, लोग इनकी महत्वपूर्णता को भूल रहे हैं। इस विवाद में कैथा भी शामिल है।
कैथा का सेवन डायबिटीज़ के लिए बेहद प्रभावी साबित होता है। कैथे के पेड़ के फल से निकलने वाला "फेरोनिया गूदा" डायबिटीज़ रोगियों के लिए रामबाण उपचार का काम करता है। यह फल शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है और इंसुलिन सेल्स की गति को बढ़ाता है, जिससे शुगर की प्रबंधन करने में मदद मिलती है।
यह फल आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, और जिंक का अच्छा स्रोत है, साथ ही विटामिन B-1 और B2 भी प्रदान करता है। इसका मात्र 10 रुपये के करीब बाजार में मिलता है। डायबिटीज़ के रोगियों के लिए, कैथा का महत्व अत्यधिक है और इसे चमत्कार से कम नहीं माना जा सकता है।
कैथा का सेवन हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों के लिए भी फायदेमंद साबित होता है। कैथा में मौजूद फाइबर और रैफोलोजिकल सामग्री से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है और बॉवेल मूवमेंट को सुधारने में सहायक होती है। इसके साथ ही, विटामिन C की उच्च मात्रा धमनियों की स्वास्थ्यवर्धकता को बढ़ावा देती है, जिससे खून का प्रवाह सुचारू बनता है। हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों के लिए कैथा आयुर्वेदिक उपाय की तरह कारगर हो सकता है।
कैथा का सेवन बवासीर की समस्या को दूर करने में मदद कर सकता है। यह फल शरीर की मेटाबोलिक गति को बढ़ाने और बॉवेल मूवमेंट को सुधारने में मदद करता है। इसके अलावा, यह मूत्रमार्ग की सूजन को कम करने में भी मदद कर सकता है। तथापि, बीमारी के तरुणावस्था में इसका नियमित सेवन करना जरूरी होता है ताकि समस्या से छुटकारा पाया जा सके।
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