धान की पैदावार 50 प्रतिशत तक कम कर देती है ये बीमारी, बुवाई के तुरंत बाद करें इलाज 
 

Agri News : मानसून की बारिश का समय अब नजदीक आ रहा है। उसी के साथ किसानों ने धान की बुवाई का काम शुरू कर दिया है। धान की बुवाई के बाद किसानों को खरपतवार जैसी समस्याओं का सबसे अधिक सामना करना पड़ता है।

 

Paddy cultivation : मानसून की बारिश का समय अब नजदीक आ रहा है। उसी के साथ किसानों ने धान की बुवाई का काम शुरू कर दिया है। धान की बुवाई के बाद किसानों को खरपतवार जैसी समस्याओं का सबसे अधिक सामना करना पड़ता है। कई खरपतवार ऐसे होते हैं जो बार-बार उखाड़ने के बाद भी दोबारा उग आते हैं। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताई जा रही कुछ खास बातों का ध्यान रखकर इससे छुटकारा पाया जा सकता है। 

उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और बिहार में सबसे अधिक लोग धान की खेती करते हैं। मानसून के आगमन की खबर सुनकर किसानों ने खेत तैयार करने शुरू कर दिए हैं। कई इलाकों में धान की बुवाई का काम भी जोरों पर चल रहा है। लेकिन धान की फसल में कई तरह के जंगली पौधे उगाने के बाद उत्पादन में 50% तक गिरावट आ जाती है। 

इन समस्याओं का समाधान बताते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर आरके सिंह ने बताया कि यह समस्या किसानों के लिए बेहद आम होती है। खरपतवार से समंधित समस्या किसानों को सबसे अधिक परेशान करती है। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो उत्पादन पर गहरा असर देखने को मिलता है। 

धान की फसल में जंगली खरपतवारों के रूप में सावाधास, कोंदो, बनरा, सफेद घांस जैसे कई तरह के खरपतवार सबसे अधिक परेशान करते है। इसके लिए किसानों को अधिक खर्च करके निराई गुड़ाई करनी पड़ती है। लेकिन इन खरपतवारों मैं कई ऐसी प्रवृत्ति के होते हैं, जो एक बार निकालने पर भी दोबारा उठाते हैं। 

इस तरह के जिद्दी खरपतवारों से छुटकारा पाने के लिए बाजार में कई तरह के कीटनाशक मिलते हैं। जिन्हें आपको दान की बुवाई के बाद 72 घंटे के अंदर खेत में डालना होगा। इसके लिए आपके प्रति एकड़ 1 लीटर दवा की जरूरत पड़ेगी। इन कीटनाशकों में सेमी गोल्ड, हंटर, ग्रास किलर आदि कुछ प्रभावी दवाई हैं। अधिक दवाइयां का उपयोग करने से पौधे के जलने का खतरा रहता है। खेतों में कीटनाशकों का उपयोग करते समय हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए और वैज्ञानिकों द्वारा दी गई सलाह के अनुसार दवाओं का उपयोग करें।