Bihar के ये गांव नीलगाय से इस तरह बचाते है फसलें, पशुओं को नहीं पहुंचता कोई नुकसान

ग्रामीणों ने दिन-रात खुद निगरानी करने और खेतों को बचाने के लिए समिति बनायी। अब समिति पुलिस के साथ मिलकर अलग-अलग शिफ्ट में 24 घंटे अपने खेतों की निगरानी करते हैं। इससे फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली नीलगाय अब इन गांवों में नहीं धमकतींं।
 

Saral Kisan : किसान जब नीलगायों के आंतक से परेशान रहने लगे तो इसके हल की तरकीब पर मंथन शुरू हुआ। आखिरकार ग्रामीणों ने दिन-रात खुद निगरानी करने और खेतों को बचाने के लिए समिति बनायी।

कहा गया है कि समस्या के साथ उसमें समाधान के बीज भी होते हैं। पश्चिम चंपारण के बगहा-1 प्रखंड की पतिलार व लगुनहा चौतरवा पंचायत में किसान जब नीलगायों के आंतक से परेशान रहने लगे तो इसके हल की तरकीब पर मंथन शुरू हुआ।

आखिरकार ग्रामीणों ने दिन-रात खुद निगरानी करने और खेतों को बचाने के लिए समिति बनायी। अब समिति पुलिस के साथ मिलकर अलग-अलग शिफ्ट में 24 घंटे अपने खेतों की निगरानी करते हैं। इससे फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली नीलगाय अब इन गांवों में नहीं धमकतींं।

ग्रामीणों ने बताया कि पतिलार व लगुनहा चौतरवा पंचायत के किसानों व सरपंच-उप सरपंच ने बैठक कर इस समस्या से निजात पाने पर चर्चा की। लोगों ने तय किया एक समिति बनायी जाय। समिति में शामिल लोगों की अलग-अलग ड्यूटी लगायी गयी। समिति के सदस्य दिन हो या रात, खेतों की लगातार निगरानी करते हैं।

पतिलार की सरपंच सह बिहार राज्य सरपंच संघ की उपाध्यक्ष लालमती देवी ने बताया कि लगुनाहा चौतरवा की सरपंच रीना देवी के साथ मिलकर इस समस्या के निराकरण की पहल की गई। दोनों पंचायतों के किसानों की बैठक में सरपंच प्रतिनिधि जगरनाथ यादव की अध्यक्षता में निगरानी समिति का गठन किया गया।

इसमें गांव के लोगों को बतौर सदस्य शामिल किया गया। अलग-अलग पाली में निगरानी करने से किसी पर ज्यादा बोझ नहीं आता और पूरा गांव इसे अपनी जिम्मेदारी मानकर सहयोग करता है।

समिति के अध्यक्ष जगरनाथ यादव बताते हैं कि दोनों पंचायतों से बनाई गई समिति के सदस्य सभी खेतों की देखरेख करते हैं। इसके अलावा, वे सरेह में मवेशी चराने वाले चरवाहों को भी फसल से दूर रहने की हिदायद देते हैं। मवेशियों से फसल चराते पकड़ने जाने पर समिति उन पर भी कार्रवाई करती है।

पूरा गांव इस समिति के फैसलों को स्वीकार करता है। इससे अन्य मवेशियों द्वारा फसल को नुकसान पहुंचने की समस्या भी दूर हो गई है। सामुदायिक पहल से समस्या दूर करने का यह प्रयास पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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