मूली की खेती करने का सही समय, उन्नत किस्में, लगने वाली बीमारियां और उपाय 

मूली की खेती ठंड के मौसम में की जाती है, क्योंकि इस मौसम में मूली बेहतर तरीके से विकसित होती है। आर्द्र जलवायु मूली के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके बीजों को अंकुरण के लिए 20 डिग्री से आस-पास तापमान की आवश्यकता होती है।
 

Saral Kisan: मूली के अंदर कई गुणकारी तत्व पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर को लाभ पहुंचाते हैं। यह ऐसी फसल है, जिसे बहुत आसानी से उपजाया जा सकता है। सबसे खास बात यह है कि मूली की खेती के लिए किसी खास तरह की मिट्टी की ज़रूरत नहीं है। किसान चाहें, तो अन्य फसलों, जैसे जौ, गेहूं, सरसों आदि के साथ भी मूली की खेती कर सकते हैं। अगर आप भी मूली की खेती के बारे में ज़्यादा जानकारी पाना चाहते हैं, तो यहां जानें कि मूली की खेती (Mooli ki Kheti) कब और कैसे करें?

 मूली की खेती (Mooli ki Kheti) कब करें?

मूली की खेती ठंड के मौसम में की जाती है, क्योंकि इस मौसम में मूली बेहतर तरीके से विकसित होती है। आर्द्र जलवायु मूली के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके बीजों को अंकुरण के लिए 20 डिग्री से आस-पास तापमान की आवश्यकता होती है। अगर आप 25 डिग्री से अधिक तापमान में मूली की खेती करेंगे, तो फसल की गुणवत्ता कम हो जाती है। गर्मी में मूली की खेती नहीं करनी चाहिए, क्योंकि आपको दिन में दो से तीन बार पानी देना होगा। इसके साथ ही अगर आप बारिश के मौसम में खेती करते हैं, तो जड़ों में पानी की मात्रा का ज़रूर ध्यान रखें।

मूली की खेती (Mooli ki Kheti) की विशेषता

मूली की खेती की एक खास विशेषता यह है कि इसकी फसल केवल दो महीने में तैयार हो जाती है। इसलिए आप एक से अधिक बार खेती का लाभ पा सकते हैं। इस प्रकार के पौधे को तैयार होने में 50 से 60 दिन लगते हैं। इसके पौधे एक फुट तक ऊंचे हो सकते हैं।

मूली की खेती (Mooli ki Kheti) के लिए होनी वाली बीमारियों का ध्यान रखें

मूली के पौधों में कई बीमारियां हो सकती है। मानसून के मौसम में महू रोग पाया जाता है। इस रोग के कीट बहुत छोटे होते हैं। जो पौधे की पत्तियों पर गुच्छे बनाते हैं और उसका रस सोख लेते हैं। पत्तियों का रंग पीला दिखाई देगा। अगर आपने समय पर बीमारियों की पहचान करके उपचार नहीं किया, तो उपज में कमी हो जाती है।

मूली की खेती (Mooli ki Kheti)  के लिए मिट्टी

बलुई, भुरभुरी, रेतीली दोमट मिट्टी मूली की खेती के लिए बेहतर मानी जाती है। कठोर और भारी मिट्टी में मूली का सही तरीके से विकास नहीं होता है, क्योंकि इसकी जड़ें टेढ़ी हो जाती है। फसल के उचित विकास के लिए मिट्टी का pH 5.5-6.8 होना चाहिए। मूली की खेती के लिए नमी वाली मिट्टी का इस्तेमाल करें। मूली के पौधों को रोज़ पानी देने की ज़रूरत होती है। अगर आप मूली को शुष्क जमीन पर लगाएंगे, तो बीज के अंकुरण के समय हल्की सिंचाई करें।

मूली की खेती (Mooli ki Kheti) कैसे करें?

हमारे देश मूली की खेती अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग मौसमों के अनुसार और अधिकांशतः उत्तरी मैदानी राज्यों में मूली की खेती की जाती है। ऊंची-नीची या पहाड़ी इलाकों को छोड़कर किसान किसी भी जमीन पर मूली की खेती कर सकते हैं। मूली की खेती के लिए जमीन को इस तरह से तैयार की जाती है कि पानी का बेहतर तरीके से निकासी हो। 

मूली की खेती के समय इन बातों का रखें ध्यान

कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि फसल कोई भी हो, अगर आप खरपतवार पर नियंत्रण नहीं रखेंगे, तो फसल की पैदावार अच्छी नहीं होती है। इसलिए खरपतवार का ध्यान रखें। मूली की खेती में खरपतवार पर नियंत्रण के लिए रासायनिक और प्राकृतिक, दोनों विधियां अपनाई जाती हैं। मूली के पौधों में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक रूप से निराई-गुड़ाई की जाती है।

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