धान में यूरिया की मात्रा का छिड़काव कर देगा पत्तियों को कमजोर, जानिए एक्सपर्ट की जरूरी राय
Dhan Ki Kheti : देशभर के विभिन्न राज्यों में धान की खेती की जाती है। धान की रोपाई का समय जून से लेकर अगस्त के पहले सप्ताह तक होता है। धान की फसल बोलने से पहले इसकी नर्सरी तैयार की जाती है। पौधे तैयार हो जाने के बाद खेत में रोपाई की जाती है। धान की खेती में अनेक प्रकार की खाद का प्रयोग किया जाता है जिसमें यूरिया भी शामिल है।
Paddy Farming : धान की खेती में यूरिया का का इस्तेमाल फसल की बढ़वार के लिए किया जाता है। यूरिया में पाई जाने वाली नाइट्रोजन की मात्रा फसल को बढ़ाने के साथ-साथ जमीन को ठंडा रखने का काम करती है। यूरिया का गलत तरीके से या ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करने से फसल में नुकसान भी हो सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक किसानों को यूरिया की सही मात्रा और टाइम पर प्रयोग करनी चाहिए ताकि फसल के गुणवत्ता और उत्पादन में बढ़ोतरी हो सके।
बिहार के चंपारण जिले में माधोपुर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर धीरू कुमार तिवारी के मुताबिक धान की फसल के लिए यूरिया का प्रयोग करते समय सबसे जरूरी बात है की इसका प्रयोग सही समय और सही मात्रा में किया जाना चाहिए। यूरिया का प्रयोग किस तब करें जब पौधा 3-4 पत्तियों का हो जाए। इस समय हल्की मात्रा में यूरिया का उपयोग करने पर पौधे को आवश्यक पोषण मिलता है। जिससे पौधे की ग्रोथ अच्छी होती है।
ज्यादा इस्तेमाल के नुकसान
ज्यादा मात्रा में यूरिया इस्तेमाल करने से धान की फसल में भारी नुकसान हो सकता है। इसका जरूरत से ज्यादा प्रयोग पौधे की पत्तियों को कमजोर कर देता है। फसल का विकास रुक जाता है, इसके अलावा मिट्टी की उर्वरक शक्ति भी कम होती है। जिसकी वजह से लंबे समय तक फसल उत्पादन प्रभावित रहता है।
सही और सटीक मात्रा में करें प्रयोग
एक्सपर्ट का कहना है कि एक हेक्टेयर भूमि में धान की फसल मे करीबन 100-120 किलोग्राम यूरिया की मात्र पर्याप्त होती है। इसे दो बार में डालनी चाहिए। पहले तो पौधा जब तीन चार पत्तियों का हो जाए तब और दूसरा बाली निकलने के समय। इस तरह यूरिया का प्रयोग फसल की बढ़ोतरी के लिए उत्पादन में सहायक होता है।