Sarso: 11 साल बाद तैयार हुई सरसों की नई किस्म, किसानों को मिलेगी अच्छी पैदावार

सरसों के नए बीज से अब नवंबर के आखिरी हफ्ते तक किसान बुआई कर सकेंगे। सीएसए के कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि इस नई प्रजाति का लाभ देशभर के वह गन्ना किसान भी ले सकेंगे, जो नवंबर के बाद खेतों पर खाली बैठे रहते थे.
 

सरसों की खेती (sarso ki kheti) करने वाले किसान भाईयों के लिए एक अच्छी खबर आई है। सरसों रबी सीजन की एक प्रमुख नकदी फसल है। सबसे ज्यादा सरसों की खेती राजस्थान, पंजाब, हरियाणा (sarson ka rate haryana), मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा एवं असम गुजरात में की जाती है। दरअसल, हमारे देश में सरसों तेल (Sarso tel) की काफी खपत होती है। जिसके चलते अन्य फसलों के मुकाबले सरसों का भाव (sarson ka rate) ठीक ठाक रहता है। वहीं दूसरी ओर हर साल देश के लाखों किसानों के माथे पर इस बात की चिंता रहती है कि अगर वह समय पर सरसों की बुआई (sarso ki kheti) नहीं कर सके तो उन्हें अच्छा उत्पादन नहीं मिल पाएगा।

ऐसे किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के कृषि वैज्ञानिकों ने लगातार 11 सालों तक शोध के बाद सरसों की एक ऐसी नई प्रजाति गोवर्धन (sarson ki Govardhan variety) तैयार की है। अब किसान सरसों के इस उन्नत किस्म के बीजों (sarson ki acchi variety) से बुआई कर कम से कम समय में अच्छा उत्पादन ले सकते हैं और सबसे बड़ी बात तो यह है कि अब किसानों को समय से पहले सरसों की बुआई नहीं करनी होगी।

120 दिन में ही तैयार हो जाएगी सरसों की फसल

सीएसए के शोध निदेशक डॉ. पीके सिंह ने बताया कि कि सरसों की नई प्रजाति गोवर्धन को कुछ दिनों पहले हुई स्टेट वैराइटी कमेटी ने अपनी अनुमति दे दी है।  सरसों की नई प्रजाति गोवर्धन 120 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाएगी। साथ ही इस सरसों में 39 प्रतिशत तेल (sarson tel) मिल सकेगा। किसानों को इससे बड़ा फायदा होगा।  

अब सरसों की फसल को कीटों से नहीं होगा खतरा

सरसों की खेती (sarso ki kheti) करने वाले किसान अक्सर माहू कीट और कई अन्य कीटों से काफी परेशान रहते हैं क्योंकि ये कीट एक बार फसल में आने के बाद उसके उत्पादन को काफी कम कर देते हैं। लेकिन, अब इन कीटों से किसानों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। किसानों के लिए सरसों का उन्नत किस्म का बीज गोवर्धन तैयार किया है। जिसकी पैदावार को लेकर इस तरह की कोई फिक्र नहीं होगी। क्योंकि, जब किसान नवंबर के अंत में सरसों बोएंगे और जब तक फसल तैयार होगी तब तक माहू कीट लगने का खतरा पूरी तरह से खत्म हो चुका होगा। डॉ. पीके सिंह ने बताया कि सरसों की इस उन्नत प्रजाति (sarson ki best variety) का सबसे पहले नोटिफिकेशन जारी होगा। इसके बाद देशभर के किसानों इस बीज को जल्द से जल्द खरीद पाएंगे।