गन्ने में लगने वाले कीटों से अब नहीं होगा नुकसान, बस पता हो ये ज़रूरी जानकारी 
 

Uttar Pradesh Agricultural Scientists : उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में गन्ने की सबसे अधिक खेती की जाती है। लेकिन गन्ने की फसल में लगने वाले रोगों से किसान काफी परेशान है। गन्ने की फसल में लगने वाले कंसुआ और गन्ना छेदक कीट काफी परेशान कर रहे हैं।

 

UP News : उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में गन्ने की सबसे अधिक खेती की जाती है। लेकिन गन्ने की फसल में लगने वाले रोगों से किसान काफी परेशान है। गन्ने की फसल में लगने वाले कंसुआ और गन्ना छेदक कीट काफी परेशान कर रहे हैं। इन कीटों से फसल तेजी से खराब होती है और समय पर उपचार नहीं करने पर भारी नुकसान होता है। गन्ने में लगने वाले इन रोगों से पैदावार पर भारी असर पड़ता है। 

वैज्ञानिक ने बताई वजह 

कृषि वैज्ञानिक देव कुमार ने बताया कि कंसुआ और गन्ना छेदक कीट की वजह से फसलें काफी प्रभावित हो रही है। सबसे पहले किसानों के लिए जरूरी है कि कंसुआ और गन्ना छेदक कीट के बारे में पूरी जानकारी हो।  कंसुआ रोग की वजह से गन्ने के बीज की पत्ती सूख जाती है और हाथ लगाने से ही बाहर की ओर निकल आती है। अगर समय पर इस कीट का उपचार नहीं किया जाए, तो यह भयानक रूप ले सकता है। 

अगर गन्ने की खड़ी फसल में पत्ती सूखती हुई दिखाई देती है और जल्दी टूट जाती है तो इन रोगों की पहचान की जा सकती है। इन रोगों से प्रभावित हुए पौधे को खेत से काटकर बाहर निकाल देना चाहिए और कहीं दबा देना चाहिए। इन रोगों पर कीटनाशक का स्प्रे काम नहीं करता है। 

इन कीटनाशकों का करें उपयोग 

अगर आपके खेत में गन्ना छेदक कीट आ गया है, तो खेत में 5% नीम आधारित कीटनाशक या नीम के तेल का प्रयोग करना चाहिए। अगर कंसुआ रोग आ गया है तो प्रभावित पौधों पर प्रोपिकानाजोल का छिड़काव करना चहिए। 1 एकड़ में इसका छिड़काव करने के लिए 200 एमएल दवा का ढाई सौ लीटर पानी में मिलाकर घोल बना ले। इस गोल का इस्तेमाल करने से कीट जल्दी से हट जाएगा और उत्पादन बढ़ेगा। किसानों को समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए। हर 7 दिन के बाद सिंचाई करनी चाहिए। कट गाने की फसल में दिखाई देने के तुरंत बाद उपचार शुरू कर दें।