MP News : सरकार से डॉलर चने को स्टॉक सीमा से बाहर रखने की अपील
Gram Stock Limit : डॉलर चना व्यापारी संघ ने मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को पत्र भेजकर केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा काबुली चने पर 21 जून 2024 से लगाई गई स्टॉक सीमा हटाने का अनुरोध किया है। संघ ने इसके लिए कई कारण, दलीलें और सांख्यिकीय प्रमाण भी दिए हैं। संघ के अनुसार डॉलर चने को सरकार परंपरागत रूप से दालों की श्रेणी से अलग मानती है। वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने काबुली चने को स्टॉक सीमा प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया था। इससे पहले वर्ष 2006 में जब वाणिज्य मंत्रालय ने सभी दालों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, तब काबुली चना को इसमें शामिल नहीं किया गया था, क्योंकि इसकी स्थिति कुछ विशेष है।
संघ ने अपने पत्र में कहा है कि डॉलर चने का सालाना उत्पादन 4 से 5 लाख है। यह 1 से 2 लाख टन के बीच है लेकिन कुल वार्षिक घरेलू मांग (खपत) 2 से 3 लाख टन से 1 से 2 लाख टन अधिक है। इस अधिशेष स्टॉक के निर्यात से देश को लगभग 10 करोड़ अमरीकी डॉलर के समतुल्य विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है जबकि इससे घरेलू प्रभाग में उपलब्धता, आपूर्ति एवं कीमतों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता है।
कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं है। काबुली चना मुख्य रूप से मध्य प्रदेश (मालवा-निमाड़ क्षेत्र), महाराष्ट्र (विदर्भ-खान देश), गुजरात (राजकोट, गोडल, पोरबंदर) और तेलंगाना आदि में उत्पादित होता है और उच्च कीमतों के कारण किसानों को आकर्षक आय होती है। एसोसिएशन ने कहा है कि चना दाल नहीं बल्कि फली है क्योंकि इससे दाल नहीं बनती है और इसका उपयोग इसके पूरे रूप में किया जाता है। इसके अलावा इसे रोज़मर्रा का खाद्य पदार्थ नहीं माना जाता और इसका ज़्यादातर इस्तेमाल ख़ास मौकों पर ही किया जाता है। काबुली चना राजमा, चौला, लोबिया और मोठ आदि की श्रेणी का उत्पाद है। स्थानीय चने से अलग इसे एक स्वतंत्र एचएस कोड (07132010) दिया गया है। उपरोक्त तथ्यों के मद्देनज़र सरकार को यह घोषणा करनी चाहिए कि काबुली चना को स्टॉक लिमिट ऑर्डर इक्विवेलेंट फॉरेन के दायरे से बाहर मुद्रा प्राप्त होती है, जबकि इसका घरेलू विभाजन बरकरार रखा जाना चाहिए।