राजस्थान में मंडी टैक्स से बर्बाद हो रहा ग्वार गम व्यापार और उद्योग, मंडी टैक्स हटाने की मांग

Mandi Tax in Rajasthan : राजस्थान के उद्योगपतियों के लिए मंडी टैक्स बना गले की हड्डी, थप हो रहा ग्वार गम का कारोबार, राजस्थान व्यापार उद्योग संगठनों बजट में टैक्स को समाप्त करने की कर रहे मांग, मंडी टैक्स के कारण उद्योगपतियों को हो रहा बड़े स्तर पर नुकसान, दूसरे राज्यों में जा रहा कच्चा माल।

 

Rajasthan News : 2010 से 2012 के बीच सबसे ज्यादा निर्यात का रिकॉर्ड बनाने वाला ग्वार गम उद्योग अब ठप हो गया है। दुनिया भर में विकल्प बनने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा लगाए गए कृषि कर के अलावा कई समस्याएं हैं, जिनके कारण यहां के उद्योग दम तोड़ रहे हैं। देश में जिन राज्यों से हमारी प्रतिस्पर्धा है, वहां शून्य कर तथा 1.6 प्रतिशत मंडी कर और 1 प्रतिशत कृषि कल्याण उपकर के कारण यह कारोबार गुजरात, पंजाब और हरियाणा की ओर पलायन करने लगा है। 

हालात यह हैं कि 90 प्रतिशत उद्योग बंद हो चुके हैं। ग्वार का सबसे ज्यादा उत्पादन यहीं होता है। लेकिन कराधान के कारण यहां के उत्पादक किसानों को कच्चे माल के कम दाम देते हैं। इसके कारण किसान पड़ोसी राज्यों में कच्चा माल बेचते हैं। वहां से कच्चा माल यहां आता है और यहां के निर्यातक पड़ोसी राज्यों से खरीदे गए माल को प्रोसेस कर यहां से निर्यात करते हैं।  ऐसे में किसान यहां के उत्पादकों को माल नहीं दे रहे हैं और इस कारण उत्पादक उद्योग बंद होने की कगार पर है। हालात यह है कि हम निर्यात और घरेलू व्यापार में भी पिछड़ने लगे हैं। राजस्थान ग्वार दाल उत्पादक संघ ने भी सीएम को इस समस्या से अवगत कराते हुए राहत की मांग की है।

960 करोड़ का ग्वार कोरमा निर्यात होता है

एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक एस तातेड़, सचिव श्रेयांश मेहता और पूर्व अध्यक्ष भंवरलाल भूतड़ा का कहना है कि ग्वार गमका सबसे ज्यादा उत्पादन यहीं होता है। कुल उत्पादन का करीब 30 फीसदी ग्वार गम दाल स्प्लिट और 66 फीसदी ग्वार कोरमा और चूरी में जाता है। बाकी 4 फीसदी बर्बाद हो जाता है। देशभर से कुल 3 लाख मीट्रिक टन ग्वार गम पाउडर निर्यात होता है। इसमें से इस समय सबसे ज्यादा निर्यात हमारे जोधपुर से होता है, करीब 1500 करोड़ रुपए का निर्यात होता है। घरेलू बाजार भी करीब 300 करोड़ रुपए का है।  

देशभर में सालाना करीब 2 लाख टन ग्वार कोरमा का निर्यात होता है, जिसकी कीमत करीब 960 करोड़ रुपए है। जिसमें से 40 फीसदी यानी करीब 400 करोड़ रुपए जोधपुर से निर्यात होता है। इसका घरेलू बाजार भी करीब 300 करोड़ रुपए का है। 

कारोबार चौपट होने के ये मुख्य कारण हैं

कृषि मंडी टैक्स : वर्तमान में कृषि मंडी टैक्स 1.6 प्रतिशत है और कृषि कल्याण के रूप में 1 प्रतिशत टैक्स वसूला जा रहा है। जबकि हमारे पड़ोसी और प्रतिस्पर्धी राज्यों में यह टैक्स शून्य है। यहां के उद्यमियों से टैक्स लेने के कारण कच्चा माल नहीं मिल पाता। दाम नहीं मिल पाते। यहां के किसान पड़ोसी राज्यों में माल बेचते हैं। इससे उत्पादकों को कम माल मिलता है।