इन फसलों की खेती करने वालों के लिए खुशखबरी, इस योजना के तहत मिलेगी 10 हज़ार की प्रोत्साहन राशि 

 

Saral Kisan: प्रदेश में बाजरा के उत्पादन में बढ़ोतरी लाने के लिए इस योजना के तहत 10,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने वाली है. बता दे कि कर्नाटक सरकार द्वारा इस साल किसानों को इंटरेस्ट फ्री शॉर्ट टर्म लोन को तीन से बढ़ाकर  5 लाख कर दि गई है.

कर्नाटक में मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों की बल्ले बल्ले है. राज्य सरकार ने प्रदेश में मोटे अनाज की खेती बढ़ोतरी लाने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई है. इससे किसानों की आर्थिक हालत में सुधार आएगा.और पैदावार भी बढ़िया मिलेगी. 

इस योजना के तहत प्रदेश में बाजरा के उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 10,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. खास बात यह है कि कर्नाटक सरकार ने इस वर्ष किसानों को इंटरेस्ट फ्री शॉर्ट टर्म लोन की सीमा भी तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी है. जानकारी के मुताबिक, कर्नाटक ने बाजरा उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए ये खास तैयारी की है. साथ ही प्रदेश में बागवानी प्रोसेसिंग और निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए नए कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे. वहीं, राज्य में जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए भी योजना की घोषणा की गई है.

मिलेगी सरकारी मदद 

एग्री न्यूज के अनुसार , देश में सबसे अधिक बाजरे की खेती कर्नाटक में होती है. यही कारण है कि सरकार ने छोटे बाजरा उत्पादकों को क्षेत्र वृद्धि, उत्पादन और उत्पादकता को प्रोत्साहित करने के लिए ‘रैथासिरी’ योजना के अंतर्गत 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रोत्साहन राशि देने का फैसला लिया गया है. वहीं, सीएम बोम्मई ने बताया है कि नई ‘मुख्यमंत्री रायता उन्नति योजना’ उन किसान-उत्पादक संगठनों को प्राथमिकता देगी जो अपनी फसलों को खेत पर ही प्रोसेस करने के बाद बिक्री के लिए पैक किया जाता हैं.

उचित कीमत पर उपलब्ध करवाई जाएगी

सीएम ने कहा कि राज्य में 100 करोड़ की लागत से कृषि और बागवानी उत्पादों की प्रोसेसिंग और निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए KAPPEC द्वारा ‘रायता संपदा’ पहल शुरू होगी. उन्होंने बताया कि कर्नाटक में 26.21 लाख हेक्टेयर में बागवानी उत्पादों की खेती की जाती है, जिसमें 242 मिलियन टन का उत्पादन होता है. इसका मूल्य 66,263 करोड़ रुपये है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आलू के बीज की खेती में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए किसानों को एपिकल रूट कल्चर टेक्नोलॉजी उचित कीमत पर उपलब्ध कराई जाएगी.