बकरी पालन से ज्यादा आमदनी देता है बकरा पालन, पढ़ें ये आंकड़े बिज़नेस में बढ़ा देंगे रूचि

Goat Meat Export : भारत में मीट उत्पादन का कारोबार काफी बड़ा है। देश में बड़े स्तर पर हर प्रकार के पशुओं का मीट उत्पादन किया जाता है। भारत में मीट पैदावार का आंकड़ा लगभग 1 करोड़ टन के आसपास है. मीट उत्पादन में बकरे के मीट के हिस्सेदारी लगभग 15% है. भारत के घरेलू बाजार में जिस प्रकार मीट की बिक्री हो रही है उसके अनुसार इस आंकड़े में और ज्यादा इजाफा होने वाला है। 

 

Goat Milk : देश में बकरी पालन एक बड़े फायदे का बिजनेस माना जाता है. बकरी पालन करके आप कम लागत में अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. ज्यादातर बकरी पालन मीट के प्रयोग के लिए किया जाता है। आज के मौजूदा समय में भी बाजार की यह हालत है कि बकरी के दूध से अधिक बकरे के मीट का कारोबार ज्यादा है। 

बकरे के मीट का कारोबार अधिक फायदेमंद

बकरी के दूध का कारोबार मैं कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है. दूध का कारोबार ना बढ़ने की असली वजह संगठित ना होना ही है. आवश्यकता के अनुसार बकरी के दूध के रेट बढ़ते हैं. बकरी का दूध आवश्यकता होने पर 300 से लेकर 400 रूपए तक हो जाता है। बकरी पालन के मुकाबले बकरा पालन अधिक फायदेमंद साबित होता है. बकरी के मुकाबले बकरा जल्दी मुनाफा देना शुरू कर देता है. बकरी बच्चा पैदा करने के बाद दूध देना शुरू करती है. इसके अलावा बकरा 6 महीना होने पर ही मुनाफा देना शुरू कर देता है.  मीट की डिमांड के चलते 12 महीने के बकरे की अच्छी खासी डिमांड बाजार में बनी रहती है. 

बकरीद के समय बकरों की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. पूरे साल में बकरीद के एक महीने में इतने बकरों की बिक्री हो जाती है कि पशुपालक को पूरे वर्ष का आर्थिक स्तर सुधार लेते हैं. बकरे के मीट की डिमांड अब देश के साथ-साथ विदेश में भी काफी ज्यादा बड़ी है। मीट एक्सपोर्ट के दौरान आने वाली केमिकल की समस्याओं को दूर करने के लिए केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान लगातार इस पर  प्रयास कर रहा है. वही आपको बता दें कि मीट के कारोबार में मंदिर आने की संभावनाएं एक्सपर्ट के मुताबिक कम ही नजर आती है. 

यह नस्ले देती है ज्यादा मुनाफा 

बकरी पालन में कई नस्ल ज्यादा फायदेमंद साबित होती है. वैसे तो अपने एरिया के हिसाब से ही बकरीयों और बकरे की नस्ल पालन ज्यादा फायदेमंद साबित होता है. गोट एक्सपर्ट के मुताबिक अपने इलाके के हिसाब नस्लों का चयन करना ज्यादा फायदेमंद होता है. लेकिन मीट के लिए कुछ खास किश्म की नस्लों कुछ ज्यादा पसंद किया जाता है. मीट के लिए बरबरी, जमनापरी, जखराना, ब्लैक बंगाल, सुजोत आदि नस्लों को ज्यादा पसंद किया जाता है. इन किस्म को पालने में इनकम दुगनी होती है. इन किस्मों की बकरियां ज्यादा दूध देती हैं.

बकरा मीट में आती हैं ये परेशानी 

एक्सपर्ट कहते हैं कि मीट में केमिकल और अन्य तत्वों की जांच होती है जब यह निर्यात किया जाता है। मीट का कंटेनर जांच में पास होने के बाद ही आगे बढ़ाया जाता है। बकरा मीट के कंसाइनमेंट अक्सर निर्यात के दौरान वापस आते हैं। बकरा चारा में पेस्टीसाइड शायद शामिल था। लेकिन CIRG अब आर्गनिक चारा उगाना शुरू कर दिया है। बकरों ने भी चारे KO खाया,लेकिन उनके मीट में उस केमिकल की शिकायत नहीं मिली। सीआईआरजी मीट में उत्पन्न होने वाली इस समस्या को दूर करने के लिए अभी और अध्ययन किया जा रहा है।

सीआईआरजी करेगी ये काम 

सीआईआरजी ने मीट के बढ़ते कारोबार और मांग को देखते हुए एक कोर्स भी शुरू किया है। एक बकरे को स्लॉटरिंग करना सीखना बकरा स्लॉटरिंग के स्थान को कैसे साफ रखना चाहिए? स्लॉटरिंग करने वाले व्यक्ति को क्या पहनना चाहिए और साफ-सफाई के कौन से मानकों को पूरा करना चाहिए? कोर्स के दौरान आपको बकरे को कैसे काटा जाएगा और पीस किया जाएगा। बाजारों में खुलीं मीट की छोटी दुकानों और बड़े-बड़े स्लॉटर हाउस में भी ये काम होते हैं। ऐसे ही ट्रेंडिंग लोगों की स्लॉटर हाउस की आवश्यकता होती है।