धान में खरपतवार से मिलेगा छुटकारा, रोपाई के बाद इस दवा का करें इस्तेमाल

Paddy Cultivation  :धान को खरीफ सीजन की मुख्य फसल मानी जाता है। मानसून के सीजन में धान की रोपाई की जाती है। धान की अच्छी पैदावार लेने के लिए इसके अंदर रोपाई से लेकर कटाई तक विशेष ध्यान देना पड़ता है। इतनी देखभाल और मेहनत के बाद भी फसल के पकाव के समय बहुत सारी परेशानियां सामने आ जाती है।

 

Measures To Remove Weeds From Paddy Cultivation : भारत देश एक कृषि प्रधान देश है। देश में अनेको राज्यों में गर्मी के मौसम मे धान की फसल बोई जाती है। धान की फसल को खरीफ सीजन की मुख्य फसल मानी गई है। धान की खेती में  पानी की खपत सबसे अधिक होती है। किसानों को फसल में खरपतवार से लेकर कीट पतंग तक का बचाव करना पड़ता है। यह एक ऐसी फसल है जिनकी समय-समय पर देखभाल करनी बेहद जरूरी है। किसान खेत में धान की रोपाई करने के 24 घंटे बाद मशटी (Machete) नामक दवा का छिड़काव कर दे इसके बाद खरपतवार से छुटकारा मिल जाएगा।

अधिक उपज के लिए इस्तेमाल करें यह दवा

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि धान की फसल में रोपाई के 15 दिन Black Gold व मैग्नीशियम कीटनाशक का छिड़काव कर दे। यह दवा पौधे को ऊर्जा देने का काम करती है, जिसमें जिसे उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।

खरीफ सीजन में अधिकतर किसान अपने खेत में धान की  फसल बोते हैं। किसानों को दान की अच्छी पैदावार लेने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है। धान की फसल में रोपाई से लेकर कटाई करने तक काफी ध्यान देनी पड़ती है। किसानों द्वारा इतनी मेहनत करने के बाद भी फसल के पकाव पर काफी सारी परेशानियां सामने आती है। धान की खेती के लिए सबसे अहम बात समय है। धान की फसल में खाद्य संरक्षण तथा सिंचाई और  कीटनाशक प्रबंधन समय-समय पर हो जाए तो यह फसल बेहद उपज देती है। धान की फसल को रोपाई के बाद बेहद देखभाल की जरूरत होती है। इस दौरान किसानों को किट और रोगों को नियंत्रित करना, खेत में समय-समय पर पानी डालना, किसी भी तरह का रोग आने पर कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर तुरंत कीटनाशक छिड़काव कर देना चाहिए।

समय समय पर पानी का बदलाव करें

यदि आपकी धान की फसल में अधिक पानी भरा हुआ है तो उसे खेत से निकाल देना चाहिए। धान की खेती में जल निकासी बेहद जरूरी है। पानी निकासी करने के बाद फसल में हल्की सिंचाई करते रहें जिससे मिट्टी फटने की समस्या ना हो पाए। यह काम इसलिए करना जरूरी है ताकि फसलों की जड़ों तक सौर ऊर्जा पहुंच सके तथा पौधे में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती रहे। यह विधि फसल की रोपाई करने के 25 दिन बाद ही कर लेनी चाहिए ताकि समय रहते फसल में पोषण प्रबंधन किया जा सके।