किसानों को फ्री में मिलेगी अरहर और उड़द बीज की किट, राष्ट्रीय बीज भंडार पर करें विजिट

How To Make Profit From Pulses Cultivation :देश में दाल उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि किसान दल्हन फसलों की खेती छोड़कर धान की और काफी बढ़ रहें हैं जिस वजह से पिछले साल दालों के क्षेत्रफल में कमी आई है। सरकार इसका क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए लगातार कठिन परिश्रम कर रही है।

 

How To Cultivate Pulses : देश में दाल उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि किसान दल्हन फसलों की खेती छोड़कर धान की और काफी बढ़ रहें हैं जिस वजह से पिछले साल दालों के क्षेत्रफल में कमी आई है। सरकार इसका क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए लगातार कठिन परिश्रम कर रही है। पिछले साल क्षेत्रफल में कुछ बढ़ोतरी हुई है। सरकार द्वारा किसानों को दलहन की खेती करने के लिए मुफ्त बीज उपलब्ध करवाया जा रहा है।

कृषि वैज्ञानिक वीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि शाहजहांपुर में पिछले साल दल्हन फसल के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। इस साल भी खरीफ सीजन में दल्हन फसलों का इलाका बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है। उत्तर प्रदेश के जिले शाहजहांपुर के मिर्जापुर, कलांन, मदनपुर, कांटा और जलालाबाद इलाके में दलहन फैसले काफी बोई जाती है। वहां पर इस बार और अधिक क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को निशुल्क बीज  उपलब्ध करवाया जा रहा है। प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों की दोनों की फसल बर्बाद हो गई है उन जगहों पर किस दलहन की फसल उगा सकते हैं।

पंजीकरण करवा कर ले फ्री बीज

कृषि विज्ञान के द्वारा कहा गया कि जिले में उड़द की 700 बीज मिनी किट तथा अरहर की तकरीबन 80 कीट किसानों को उपलब्ध करवाने के लिए आई है।  जो किसान दलहन की फसल बोने की इच्छा रखते हैं वह अपने नजदीक की राज्य कृषि बीज भंडार पर जाकर फ्री बीज मीनी कीट प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को अपना आधार कार्ड साथ ले जाना होगा। इसके बाद किसान अंगूठा लगा कर अपना बीज प्राप्त कर सकता है।

इस खेती से होने वाले लाभ

डॉ धीरेंद्र शास्त्री ने बताया दालों की खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। इन फसलों से मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ती है। ताकि आगामी सीजन की फसल अच्छी हो सके। यह फैसले नाइट्रोजन को मिट्टी में मिक्स करती है। जिस वजह से जमीन में पोषक तत्व बढ़ जाते हैं। इस फसल में कम पानी तथा कम खर्च की जरूरत होती है। इसकी उपज प्रति एकड़ 8 क्विंटल से लगाकर 10 क्विंटल तक हो सकती है। बाजार में मांग होने की वजह से भाव भी अच्छा मिलता है।