इस तरीके से करें धान की खेती, उपज में होगी शानदार बढ़ोतरी

कृषि विज्ञान के पदाधिकारी डॉ रवि शंकर ने बताया कि अगर किसान अधिक को पद लेना चाहते हैं तो मानसून के अनुसार फसल को बदलकर एमटीयू 1010 वैरायटी का प्रयोग करना चाहिए। जिससे दान की वैरायटी में सुधार आएगा और पैदावार भी बढ़ेगी।

 

Dhaan Ki Kheti : गोंडा जिले में धान की खेती सबसे अधिक की जाती है और जिले भर में किसान करीबन 50000 हेक्टेयर भूमि में खेती करते हैं। लेकिन विपरीत 2 सालों से मानसून लेट होने की वजह से धान के किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि किसान पुरानी किस्म का प्रयोग कर रहे हैं और सही तकनीक से खेती नहीं कर रहे। जिले के किस पुरानी वैरायटी में अधिकतर एमटीयू 7029 की किस्म का प्रयोग करते हैं। यह दान के फसल करीबन 155 दिनो में पककर तैयार हो जाती है।

कृषि विज्ञान के पदाधिकारी डॉ रवि शंकर ने बताया कि अगर किसान अधिक को पद लेना चाहते हैं तो मानसून के अनुसार फसल को बदलकर एमटीयू 1010 वैरायटी का प्रयोग करना चाहिए। जिससे दान की वैरायटी में सुधार आएगा और पैदावार भी बढ़ेगी।

MTU 1010 धान

जिले में बढ़ रहे तापमान को देखते हुए अगर किसान बढ़िया उपज लेना चाहते हैं। तो उन्हें तकनीक से खेती करनी पड़ेगी। किसानों को सबसे पहले नर्सरी तैयार करके बीजों का उपचार करना होगा। किसान वेब स्टिक नाम की दवाई का इस्तेमाल 3 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से करें। बीज उपचार करने के बाद बीज से संबंधित सभी बीमारियां दूर हो जाएगी। धान की नर्सरी वैरायटी के हिसाब से अलग-अलग तैयार करने चाहिए।

15 से 18 दिन के बीच का पौधा फायदेमंद

कृषि विज्ञान केंद्र के अनुसार 15 से 18 दिन के बीच का पौधा अधिक फायदेमंद होता है। इससे अधिक समय का होने पर इससे फायदा होने की उम्मीद कम हो जाती है। जब रोपाई की जाती है तो एक बार में दो से तीन पौधे अधिक लगाए जाते हैं जो कि गलत तरीका होता है। इन सभी पौधों को कतार हमें लगाना सही रहता है। जिससे पौधे का पालन पोषण भी अधिक हो सकता है और उपज में भी बढ़ोतरी होगी।