जून-जुलाई में मोटा अनाज देगा शानदार उत्पादन, बस करना होगा इन बातों का पालन 

Millet Farming : बिहार के गया जिले में कृषि विभाग मोटे अनाज की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। विवाह की ओर से ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, कोनी, चीना, मंडवा आदि की खेती के लिए 33000 एकड़ का बीज बांटने वाला है।
 

Millet Farming : बिहार के गया जिले में कृषि विभाग मोटे अनाज की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है। विवाह की ओर से ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, कोनी, चीना, मंडवा आदि की खेती के लिए 33000 एकड़ का बीज बांटने वाला है। खरीफ सीजन 2024-25 में गया जिले में 23000 एकड़ में मक्का और 10000 एकड़ में मोटे अनाज की खेती कराने का लक्ष्य रखा गया है। 

दक्षिणी बिहार के कई जिलों में अधिकांश से किसान बारिश की खेती पर निर्भर करते हैं। अगर बारिश अच्छी हो जाए तो धान की खेती की जाती है। गया जिले के लोगों को मोटे अनाज की खेती से बंपर मुनाफा होने वाला है। धान की खेती के अपेक्षा मोटे अनाज में कम पानी की जरूरत पड़ती है और अच्छी पैदावार होती है। 

मोटे अनाज का सेंटर आफ एक्सीलेंस बिहार के गया जिले में टनकुप्पा प्रखंड में बनाया जा रहा है। यहां 12 एकड़ में कई तरह के मोटे अनाज की खेती ट्रायल के रूप में की जाएगी। यहां किसानों को मोटे अनाज से संबंधित प्रशिक्षण के साथ-साथ मार्केटिंग और वैल्यू एडिशन की जानकारी पर जोर दिया जाएगा। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के अधिकारी डॉ राहुल प्रियदर्शी ने बताया कि मोटे अनाज की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। किसान प्रति हेक्टेयर 70 से 80000 की कमाई आराम से कर सकता है। 

खरीफ सीजन में किस अधिकतर बाजरा, चिन्ना, मांडवा, मक्का आदि की खेती करते हैं। जून जुलाई का महीना उनके लिए बेस्ट माना जाता है। मोटे अनाज की फसल करीबन 80 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसके साथ-साथ मोटे अनाज की खेती हरे चारे के रूप में भी की जाती है। यह पशुओं के लिए मुख्य आहार माना जाता है।