अर्जुन पेड़ की लकड़ियों के अलावा बिकती है छाल, किसानों के लिए आमदनी का बढ़िया जरिया

 

Arjun Tree Farming: हमारे देश के किसान ज्यादातर पारंपरिक खेती ही करते हैं. लेकिन एक जैसी ही रेगुलर खेती के अलावा भी आजकल बहुत सी खेती है जिनसे किसानो आमदनी बढ़ा सकता है. किसानों को दूसरी कई तरह की खेती के बारे में जानकारी नहीं होती इसलिए इस लेख में आपको अर्जुन पेड़ की खेती के बारे में जानकारी देंगे.

अर्जुन का पेड़ 15- 16 साल में तैयार होता है. इस दौरान इसकी लम्बाई 11-12 मीटर और मोटाई 59-89 सेमी तक हो जाती है. बाजार में इसकी छाल काफी मंहगी बिकती है. देश में कुछ ऐसे पेड़ हैं, जिनका औषधीय महत्व अधिक है. अर्जुन का पेड़ 47 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में अच्छा विकास करता है. गर्मियों में इसकी खेती उपयुक्त मानी जाती है. 

इसके बीजों को पानी में 3 से 4 दिन तक भिगोए रखना है. 8 से 9 दिन में ये अंकुरित होते हैं. इसके बाद ही इसकी बुवाई खेतों में करनी चाहिए. गर्मियों में इसकी खेती उपयुक्त मानी जाती है. इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. बाजार में इसकी लकड़ियों और छाल की अच्छी डिमांड है.

इस पेड़ को उसी जगह लगाएं, जहां सीधी धूप आती हो. छांव वाले जगहों पर इस पौधों को लगाने से उसका विकास रूक जाएगा. अर्जुन पेड़ सही तरीके से विकास करे, इसके लिए खेत में उचित जलनिकासी की व्यवस्था होनी चाहिए. अतिरिक्त जलजमाव से पौधे सड़ सकते हैं.  बाजार में इसकी छाल काफी मंहगी बिकती है. ई-कॉमर्स वेबसाइट पर इसकी कीमत हजारों में पहुंच रही है.

इसका पौधा, उपजाऊ जलोढ़-कछारी, बलुई दोमट मिट्टी में काफी तेजी से विकास करता है. इस पेड़ की लकड़ियों के फर्नीचर की भी मार्केट में काफी डिमांड है. किसान अर्जुन के पेड़ से लाखों का अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस प्रकार छाल और तना दोनों सें किसान लाभ कमा सकते हैं.