अमेरिका और यूरोप समेत इन देशों में हो रही AI से खेती, भारत में भी कई किसान ले रहे मोटी पैदावार

Artificial Intelligence :जैसे-जैसे दुनिया की आबादी बढ़ रही है, जमीन कम होती जा रही है। ऐसे में सभी का पेट भरने के लिए आधुनिक खेती के तरीकों की जरूरत बढ़ रही है। 2050 तक दुनिया की आबादी 10 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है।
 

Artificial Intelligence : जैसे-जैसे दुनिया की आबादी बढ़ रही है, जमीन कम होती जा रही है। ऐसे में सभी का पेट भरने के लिए आधुनिक खेती के तरीकों की जरूरत बढ़ रही है। 2050 तक दुनिया की आबादी 10 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है। इससे कृषि की जरूरतें बढ़ेंगी। अभी धरती की सतह के करीब 37.7% हिस्से पर खेती होती है। अब कम खादी का इस्तेमाल कर कम पानी और कम जमीन में ज्यादा फसल उगाने के उपाय तलाशे जा रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI इसमें बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है। चीन से लेकर अमेरिका और यूरोप तक विकसित दुनिया के बड़े हिस्से में खेती में भी AI का तेजी से इस्तेमाल हो रहा है।  

तेलंगाना में सागु बागू पहल से किसानों की आय दोगुनी हुई

विश्व आर्थिक मंच के चौथी औद्योगिक क्रांति के लिए भारत स्थित केंद्र ने 4 साल पहले टी एआई-4एआई (कृषि नवाचार के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता) पहल शुरू की थी। इसका नाम स्वागु बागू रखा गया। इस पहल ने बॉट सलाहकार सेवाओं, मृदा परीक्षण तकनीक, एआई-आधारित गुणवत्ता परीक्षण और खरीदारों-विक्रेताओं को जोड़ने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करके खम्मम जिले में मिर्च की खेती को पूरी तरह से बदल दिया है। इसके कारण किसानों को एक फसल चक्र (6 महीने) में प्रति एकड़ लगभग 66 हजार रुपये की आय हुई, जो पहले के औसत से दोगुनी है।

कई गरीब देश फिलहाल यह तकनीक नई है और किसानों की पहुंच से बाहर है। विश्व आर्थिक मंच जैसे कुछ संगठन आगे आकर ऐसे देशों के किसानों को एआई के जरिए उत्पादन बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। अफ्रीकी देश मलावी में ऐसा ही एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। वहां उलंगिज नाम के ऐप के जरिए 1.5 करोड़ छोटे किसानों को बड़ी मदद मिल रही है।

दुनिया भर में करीब 60 करोड़ छोटे किसान हैं, जो दुनिया का एक तिहाई अनाज और सब्जियां उगाते हैं।  बिग डेटा, एआई और मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों की मदद से किसान कीटों को नियंत्रित कर सकते हैं और रोग संक्रमण का पता लगा सकते हैं। 

क्या है इसके फायदे 

आपदा  प्रबंधन, फसल चक्र, समय पर कटाई, फसल का प्रकार, कितनी फसल लगानी है, कीटों के हमलों से सुरक्षा आदि जैसी चीज़ों में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं। एआई-सक्षम तकनीक मशीन लर्निंग एल्गोरिदम, तापमान, वर्षा, हवा की गति और सौर विकिरण जैसे डेटा के साथ-साथ उपग्रह और ड्रोन द्वारा प्राप्त छवियों का उपयोग करके मौसम की भविष्यवाणी करती है। फसल की स्थिरता का विश्लेषण करती है, फसलों में बीमारियों या कीटों की उपस्थिति और पौधों के खराब पोषण का पता लगाती है। कृषि और मशीन लर्निंग में एआई के उपयोग सहित स्मार्ट, कनेक्टेड कृषि तकनीकों और प्रणालियों पर वैश्विक खर्च 2025 तक तीन गुना बढ़कर $15.3 बिलियन (लगभग 1.28 लाख करोड़ रुपये) होने की उम्मीद है।