प्राकृतिक खेती के लिए 76000 किसानों का पंजीकरण, राज्य में हर पंचायत से जुड़ेंगे 10 किसान

Shimla Hindi News : हिमाचल प्रदेश में सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए बड़ी योजना बना रही है. सरकार रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देने के लिए राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्टअप योजना के अंतर्गत पहले चरण के मुताबिक हर पंचायत में 10 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने वाली है. 

 

Rajiv Gandhi Natural Farming : रसायन युक्त खेती से स्वास्थ्य नुकसान के साथ-साथ जमीन की उर्वरता भी कम होती है. इसी के मध्यनजर हिमाचल सरकार ने रसायन मुक्त खेती यानी प्राकृतिक खेती से किसानों को जोड़ने के लिए बड़ा प्लान बना रही है। राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्टअप योजना के माध्यम से प्रदेश सरकार राज्य में पहले चरण के तहत हर पंचायत से 10 किसानों को प्राकृतिक खेती से कनेक्ट करेगी। 

किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य

इस योजना के माध्यम से प्रदेश में करीब 36000 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. इस योजना के अंतर्गत जुड़ने वाले किसानों के द्वारा जो प्राकृतिक रूप से तैयार किया गया गेहूं ₹40 और मक्की को ₹30 प्रति किलो MSP पर खरीद जाना है. देश में गेहूं और मक्की पर यह सबसे ज्यादा समर्थन मूल्य होगा। प्रदेश में अब 1,78,643 किसान-बागवान परिवारों ने प्राकृतिक खेती अपनाई है। यह प्रणाली प्रदेश में 24,210 हैक्टेयर भूमि पर लागू की जा रही है और प्रदेश के 9.61 लाख किसान परिवारों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य है।

13,176 हैक्टेयर प्राकृतिक भूमि का अधिग्रहण

योजना ने वित्त वर्ष 2023–2024 में 1275.31 लाख रुपये खर्च करके 37,087 किसानों को लाभान्वित किया और 13,176 हैक्टेयर प्राकृतिक भूमि को अधीन किया गया हैं। आधारभूत अधोसंरचना का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें प्राकृतिक खेती उत्पादों की बिक्री के लिए दस मंडियों में स्थान निर्धारित किया गया है।

प्रत्येक गांव को 10,000 रुपए तक की सहायता राशि

कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने बताया कि प्रदेश में अब तक 76,000 से अधिक प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों का पंजीकरण करवाया जा चुका हैं और 74,283 किसानों को प्रमाणपत्र दिए गए हैं। यह प्रमाणीकरण पीजीएस द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है और पूरी तरह से नि:शुल्क है। प्रदेश सरकार को भी प्राकृतिक खेती संसाधन भंडार खोलने के लिए प्रत्येक गांव को 10,000 रुपए तक की सहायता राशि देने का अधिकार है।